ब्रेकिंग…हरिद्वार
उत्तराखंड की फार्मा इंडस्ट्री पर गहराया भरोसे का संकट, 15 दवाएं फेल,
“हरिद्वार की फार्मा इंडस्ट्री ने पिछले दो दशकों में देश-विदेश में पहचान बनाई है, लेकिन अब उसी पहचान पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
अप्रैल 2025 की दवा गुणवत्ता रिपोर्ट ने एक बार फिर फार्मा कंपनियों की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है।”
“15 दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल, फर्जी पते और घटिया निर्माण ने फार्मा इंडस्ट्री की साख को बुरी तरह झकझोर दिया है…”
देखिए ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…
उत्तराखंड, खासकर हरिद्वार को फार्मास्यूटिकल हब के तौर पर जाना जाता है, लेकिन अब यहां की कई कंपनियों पर लापरवाही और गुणवत्ता में कमी के आरोप लगे हैं।
CDSCO यानी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की अप्रैल 2025 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर की 1100 दवाओं की जांच की गई, जिनमें 64 फेल रहीं।
इनमें से 15 दवाएं हरिद्वार की फार्मा यूनिटों की थीं, जिनमें एंटीबायोटिक्स, बीपी कंट्रोलर, मल्टीविटामिन और पेनकिलर्स जैसी महत्वपूर्ण दवाएं शामिल हैं।
इन दवाओं की असफलता ने न केवल जनस्वास्थ्य पर खतरा खड़ा किया है, बल्कि फार्मा सेक्टर की साख पर भी सवाल उठा दिए हैं।
ड्रग विभाग ने त्वरित कार्रवाई की है।
ड्रग इंस्पेक्टर अनीता भारती की अगुवाई में औचक निरीक्षण हुआ, कंपनियों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया और संदिग्ध दवाओं को बाजार से वापस मंगाने (रिकॉल) की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
ड्रग इंस्पेक्टर अनीता भारती ने कहा:
> “जिन कंपनियों की दवाएं फेल पाई गई हैं, उन्हें नोटिस दिया गया है। जवाब संतोषजनक न होने पर कड़ी कार्रवाई तय है।”
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि कुछ कंपनियों ने फर्जी पते पर लाइसेंस लिया है और असली निर्माण किसी और राज्य में कर रही हैं। यह स्पष्ट नियामकीय धोखाधड़ी है।
जनता में नाराज़गी है। लोग मेडिकल स्टोर्स से दवाओं की बैच डिटेल मांगते नजर आ रहे हैं। डॉक्टरों ने भी कुछ ब्रांड्स की दवाओं का उपयोग रोकने की सलाह दी है।
फार्मा सेक्टर के जानकारों का मानना है कि कुछ कंपनियों की लापरवाही पूरे उद्योग को नुकसान पहुंचा रही है। ईमानदार कंपनियों को संरक्षण और दोषियों पर सख्त कार्रवाई दोनों जरूरी हैं।
Anchor Closing:
“दवाएं सिर्फ व्यापार नहीं, जीवन से जुड़ा मामला हैं। हरिद्वार की फार्मा इंडस्ट्री पर भरोसे को बहाल करना अब सिर्फ एक औद्योगिक नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी बन गया है। फर्जी पते, घटिया निर्माण और मिलीभगत के बीच अगर समय रहते सख्ती नहीं हुई, तो इसका असर देश की स्वास्थ्य प्रणाली तक पहुंचेगा।”
