ब्रेकिंग….अयोध्या
प्रतिवाद भयंकर के नाम से मशहूर रहे राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा रामचंद्र दास परमहंस की आज 22वीं पुण्यतिथि है।
राम मंदिर आंदोलन की हृदय स्थली रही दिगंबर अखाड़ा में आज उनको श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस दौरान अयोध्या ही नहीं आसपास के जनपद के भी वरिष्ठ साधु संत मौजूद रहे और नम आंखों से राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा स्वर्गीय रामचंद्र दास परमहंस को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
स्वर्गीय रामचंद्र दास को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के साथ-साथ अयोध्या के वरिष्ठ साधु संतों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दिया है।
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन को लेकर के कभी किसी से ना डरने वाले प्रतिवाद भयंकर जिसे वाद विवाद में कभी कोई नहीं जीत सकता था जो शंकराचार्य से भी राम मंदिर आंदोलन पर खुलकर चर्चा करते थे और प्रधानमंत्री से भी आंख में आंख डाल करके राम मंदिर के मुक्ति की बातचीत करते थे।
ऐसे थे प्रतिवाद भयंकर स्वर्गीय रामचंद्र दास परमहंस।
चंपत राय ने कहा राम मंदिर आंदोलन में हमेशा सक्रिय भूमिका निभाने वाले स्वर्गीय रामचंद्र परमहंस का आज पुण्यतिथि है जिन्हें आज हमने श्रद्धांजलि अर्पित की है।
रामचंद्र दास परमहंस को याद करते हैं उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन के साथ जानवरों से उनका विशेष लगाव था और फक्कड़ स्वभाव के कारण उन्हें परमहंस की उपाधि दी गई थी प्रटीवाद भयंकर और परमहंस यह दोनों उपाधि उनके लिए एकदम परफेक्ट थी और हमेशा जानवरों के प्रति उनका लगाव था बंदरों के भोजन की व्यवस्था को प्रतिदिन करते थे इसके साथ ही वह कभी दूध और फल का सेवन न करके केवल चाय का ही सेवन करते थे इन तमाम विषयों पर बहुत गंभीरता से चंपत राय ने रामचंद्र दास परमहंस को याद करते हुए मीडिया से बातचीत किया।
जाने-माने कथावाचक आचार्य मिथिलेश नंदनी शरण भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि स्वर्गीय परमहंस राम मंदिर के लिए जीते थे राम मंदिर के लिए उन्होंने आंदोलन शुरू किया और आंदोलन की ऐसी धार दे गए जो कोई भूला नहीं सकता।
