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संडीला के लड्डू: स्वाद और इतिहास की अनोखी कहानी
हरदोई जिले का छोटा सा कस्बा संडीला, उत्तर प्रदेश सुंदर हवाई की मिठास और संस्कृति का एक खास प्रतीक है। यहां की पहचान है—संडीला के लड्डू। ये लड्डू न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश और विदेशों तक अपनी मिठास फैला चुके हैं। कहते हैं, लखनऊ के नवाबों की दावत तब तक अधूरी मानी जाती थी जब तक उनकी थाली में संडीला के लड्डू न परोसे जाएं। नवाबी दौर से ही इन लड्डुओं का स्वाद और सम्मान दोनों कायम है।
संडीला के लड्डुओं का इतिहास करीब 70 साल पुराना है, लेकिन इनकी लोकप्रियता सैकड़ों सालों से चली आ रही है। लखनऊ, हैदराबाद और यहां तक कि ब्रिटेन की महारानी भी इन लड्डुओं की दीवानी थीं। ब्रिटिश काल में इन लड्डुओं ने विदेशों तक अपनी पहचान बनाई। आज भी जब कोई भारत से विदेश जाता है, तो अपने साथ संडीला के लड्डू जरूर ले जाता है।
इन लड्डुओं की सबसे बड़ी खासियत है इनका अनूठा स्वाद और पारंपरिक तरीका। ताजी बूंदी से बने लड्डू को चीनी के बुरादे में लपेटा जाता है और मिट्टी की हांडी में रखा जाता है, जिससे इनकी ताजगी और स्वाद बरकरार रहता है। यही कारण है कि आज भी लखनऊ से हरदोई जाते वक्त हाईवे पर इन लड्डुओं की कई दुकानें दिख जाती हैं, जहां हर वक्त भीड़ लगी रहती है।
संडीला के लड्डू सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि परंपरा और विरासत का हिस्सा हैं। यहां की पुरानी दुकानों में आज भी वही पारंपरिक स्वाद मिलता है, जो दशकों पहले मिलता था। संजय जायसवाल की दुकान, जो करीब 50 साल पुरानी है, आज भी संडीला के चौराहे पर मौजूद है। संजय बताते हैं कि उनके बाबा ने यह दुकान शुरू की थी, फिर उनके पिता ने संभाली, और अब चौथी पीढ़ी इस मिठास को आगे बढ़ा रही है।
समय के साथ लड्डुओं के स्वरूप में बदलाव जरूर आया है। पहले ये लड्डू हांडी में रखकर बेचे जाते थे, अब पैकिंग बदल गई है, लेकिन स्वाद वही है। आज भी संडीला के रेलवे स्टेशन पर हांडी में रखे लड्डू मिल जाते हैं। महंगाई के चलते बेसन के लड्डुओं की जगह कुछ जगहों पर गोंद के लड्डू ने ले ली है, लेकिन असली संडीला के बूंदी लड्डू का स्वाद आज भी बेमिसाल है।
संडीला के लड्डू न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी लोकप्रिय हैं। बॉलीवुड फिल्मों में भी इनका जिक्र आता है—अमिताभ बच्चन की ‘पीहू’ और सलमान खान की ‘हम साथ-साथ हैं’ जैसी फिल्मों में इन लड्डुओं का नाम लिया गया है। इससे इनकी लोकप्रियता और बढ़ गई है।
संडीला के लड्डू का स्वाद ऐसा है कि एक बार जिसने चखा, वो बार-बार इन्हें खाने की इच्छा करता है। यहां आने वाला हर यात्री, चाहे वह लखनऊ से हो या हरदोई से, इन लड्डुओं को खरीदना नहीं भूलता। संडीला की गलियों में लड्डुओं की खुशबू हर वक्त फैली रहती है।
इन लड्डुओं की रेसिपी भी खास है। बेसन की बूंदी को घी में तला जाता है, फिर उसे चीनी के बुरादे में लपेटा जाता है। हांडी में रखने से इनका स्वाद और ताजगी बनी रहती है। यही वजह है कि ये लड्डू लंबे समय तक खराब नहीं होते और दूर-दूर तक भेजे जा सकते हैं।
संडीला का नाम भी ऐतिहासिक है। कहा जाता है कि इस जगह का नाम ऋषि शांडिल्य के नाम पर पड़ा था, जो यहां आकर रुके थे। बाद में यह कस्बा अपने लड्डुओं के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध हो गया।
आज के समय में भी संडीला के लड्डू शादी-ब्याह, त्योहारों और खास मौकों पर जरूर परोसे जाते हैं। यहां की दुकानों पर हर वक्त ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। कई परिवारों की रोजी-रोटी इन्हीं लड्डुओं की मिठास पर टिकी है।
संडीला के लड्डू न सिर्फ स्वाद का प्रतीक हैं, बल्कि हरदोई की पहचान भी हैं। जब भी कोई हरदोई या लखनऊ जाए, तो संडीला के लड्डू जरूर ट्राई करता है। ये लड्डू स्वाद और इतिहास दोनों का अनोखा संगम हैं।
