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बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा है कि वोटर लिस्ट रिवीजन प्रक्रिया जारी रहेगी, क्योंकि चुनाव आयोग का यह काम संवैधानिक दायित्व है।
अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।
*सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी*
– जस्टिस धुलिया ने कहा कि चुनाव आयोग जो कर रहा है, वह उसका संवैधानिक दायित्व है।
– सवाल यह है कि क्या वोटर लिस्ट के रिवीजन की कोई समयसीमा कानून में तय की गई है?
– जस्टिस जोयमाल्या बागची ने स्पष्ट किया कि स्पेशल रिवीजन का प्रावधान रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट, 1950 की धारा 21(3) में है, और कानून में साफ तौर पर लिखा है कि इस प्रक्रिया को कैसे अंजाम देना है, यह तय करने का अधिकार चुनाव आयोग के पास है.
*विपक्ष की आपत्ति*
– विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि यह प्रक्रिया मनमानी और अव्यावहारिक है।
– याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आधार कार्ड और वोटर आईडी को पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा है?
*चुनाव आयोग का पक्ष*
– चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि मतदान का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को है, और यह जरूरी है कि मतदाता की पहचान की जांच हो।
– आयोग ने बताया कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, इसलिए उसे मान्य नहीं किया गया है।
अगली सुनवाई में कोर्ट इस मामले में आगे की कार्रवाई तय करेगा.
